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Sunday, November 26, 2017

बुलबुला

'बबल' ऐसे हुए की ख़ुशी से 'गम' भी मिट गए ,
फूटे भी ऐसे की 'हवा' से पिट गए ,
हवा के बहाव से नन्हों के हसी से लिपट गए ,
कांच को छुए या पानी को हम उनके हो गए ,
सागर-धरती-आकाश घूमकर के भी हम 'खाक' में मिल गए ||
- सचिन धनुरे